Closed Mid-Meal
इंडिया न्यूज,नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कम्युनिकेशन विभाग के चैयरमेन एवं पूर्व विधायक अनिल भारद्वाज ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों को खोलने के बाद उनमें लागू मिड-डे मील की योजना को 14 फरवरी से पूरी तरह बंद कर दिया गया है, जिसकी रुपरेखा केजरीवाल ने जनवरी में ही तैयार करके स्कूल प्रबंधनों को सूचना दे दी गई थी। उन्हांने कहा कि दिल्ली सरकार के विद्यालयों में 13 लाख छात्र पढ़ते है जिनमें सीधा प्रभाव स्कूल के उन गरीब छात्रों पर पड़ेगा जिनके पास खाने का पौष्टिक भोजन का अभाव है और पूरी तरह मिड-डे मील पर निर्भर है।
2006 में कांग्रेस ने शुरु की थी यह योजना
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कम्युनिकेशन विभाग के चैयरमेन भारद्वाज ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 2006 में मिड-डे मील योजना की शुरुआत की थी, जिसको 2013 में खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिड-डे मील को सुनिश्चित करवाने का काम किया था। मिड-डे मील योजना बंद करके केजरीवाल का गरीब विरोधी चेहरा एक बार फिर उजागर हो गया है। उन्होंने कहा कि कोविड की पहली लहर में दिल्ली सरकार द्वारा फंड नही दिए जाने के कारण वर्ष 2020-21 के दूसरी तिमाही में ही मिड-डे मील योजना को बंद कर दिया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील की तुरंत शुरुआत की जाए।
केजरीवाल ने सुनियोजित तरीके से किया बंद मिडे मील
भारद्वाज ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत सूखा राशन और मिड-डे मील योजना को बंद कर दिया है। केजरीवाल ने सत्ता हासिल करने के लिए 2014 में गरीबों के लिए जो घोषणाऐं और वायदे किए थे, उन्हें 7 वर्षों के शासन में अभी तक पूरा नही किया है। बढ़ती बेरोजगारी में अग्रणी दिल्ली पर केजरीवाल सरकार लगातार दिल्लीवासियों के रोजगार छीन रही है जिसकी कड़ी में दिल्ली सरकार ने कोविड महामारी का बहाना बनाकर मिड-डेल मील पर काम करने वाले 478 गरीब कुक नौकरी से निकाल दिए है।
22 दिन से बैंठी हैं आंगनबाड़ी वर्कर्स और हैल्पर्स धरने पर
उन्होंने कहा कि 22 दिनों से धरने पर बैठी आंगनबाड़ी वर्कर्स और हैल्पर्स सहित भोजन पकाने का काम करने वाली महिलाऐं अपने हक के लिए लड़ रही है जिस केजरीवाल पूरी तरह असंवेदनशीलता दिखा रहे है, जिसका कांग्रेस पार्टी विरोध करती है।
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