इंडिया न्यूज, पुद्दुचेरी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि अगर भारत की आत्मा को समझना है तो श्री अरविंद को सुनना और पढ़ना होगा। इसी प्रकार का जीवन श्री अरविंद (Sri Aurobindo) ने जिया और अगर उनके साहित्य को ध्यान से पढ़ें और उनके संदेश को समझें, तो उन्होंने एक अलग प्रकार के भारत की व्याख्या की। दुनिया के सारे देश जियो-पॉलिटिकल हैं लेकिन भारत एकमात्र ऐसा देश है जो जियो-कल्चर है। अगर भारत को जियो-कल्चर देश के नाते समझने की शुरूआत करेंगे तो आज की सभी समस्याओं का समाधान अपने आप हो जाएगा।
अरविंद के 150वें जयंती में शामिल हुए शाह
केंद्रीय गृह मंत्री शाह रविवार को पुद्दुचेरी में श्री अरविंद के 150वें जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में शामिल हुए। इस दौरान शाह ने अरविंद आश्रम में महान बुद्धिजीवी और आध्यात्मिक पुरोधा श्री अरविंद को श्रद्धा सुमन अर्पित किये। शाह ने यहां आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर कहा कि श्री अरविंद ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में चिरस्थायी योगदान दिया। उनके कार्य और विचार सभी के लिए प्रासंगिक हैं और वे हमेशा हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे। शाह ने कहा कि अरविंद ने पॉलीटिकल एक्शन का एक सुसंगत और महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रतिपादित करने का प्रयास किया था। उसे एक प्रकार से आप आध्यात्मिक राष्ट्रवाद भी कहसकते हैं और पहली बार राष्ट्र की अवधारणा उन्होंने रखी।
श्री अरविंद ने दी भारतीय संस्कृति को नई चेतना, ऊर्जा, गति
शाह ने कहा कि श्री अरविंद ने भारतीय संस्कृति की चिरपुरातन चेतना की नदी के प्रवाह को नई चेतना, ऊर्जा, गति और दिशा प्रदान करने का काम किया और ऐसे समय पर किया जब सब ओर अंधकार था और देश अंग्रेज़ों का ग़ुलाम था। उन्होंने कहा कि जब तक श्री अरविंद के विचारों को हम नई पीढ़ी को नहीं सौंपते, उनके मन में इन्हें जानने की उत्सुकता पैदा नहीं करते, तब तक श्री अरविंद की 150वीं जयंती को मनाने के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो सकती।
नई शिक्षा नीति में पाएंगे श्री अरविंद के विचार
शाह ने कहा कि अगर देश की नई शिक्षा नीति को ध्यान से पढ़ेंगे तो हर स्थान पर श्री अरविंद के शिक्षा के विचार अपने आप दिखाई पड़ेंगे, क्योंकि इस देश को जो लोग जानते हैं, यही हमारा राजमार्ग और आगे बढ़ने का रास्ता है। भारत कभी छोटा नहीं सोच सकता है। उन्होंने कहा कि मैं श्री अरविंद के विचारों के आंदोलन के प्रचार के साथ जुड़े हुए लोगों को इतना हीकहना चाहता हूं कि आप इस देश के युवाओं, किशोरों और देश की शिक्षा व्यवस्था पर फोकस करिए। अगर यह तीन चीजें श्री अरविंद के विचारों से युक्त होजाती हैं तो श्री अरविंद की कल्पना का भारत बनना मुश्किल नहीं।
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