Edible Oils
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और खाद्य तेलों (Edible Oils) के आयात को कम करने के लिए सरकार विभिन्न तरह के कदम उठा रही है जिससे महंगाई कम हो सके और जनता को राहत मिल सके। इसी कड़ी में खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने कहा कि सरकार 10 राज्यों के 100 जिलों में तिलहन की खेती के लिए धान की खेती के बाद परती छोड़ दी जाने वाली लगभग 4 लाख हेक्टेयर भूमि का उपयोग किया जाएगा।
मंत्री पीयूष गोयल ‘स्मार्ट कृषि: मोटे अनाज के गौरव को वापस लाना: खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता की ओर’ विषय पर आधारित एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान पीयूष गोयल ने कहा कि तिलहन के 230 अधिक उपज वाले जिलों की पहचान की गई है। दो फसलों के बीच के खाली समय में तिलहन खेती के लिए, अगले 5 वर्षों में लगभग 20 लाख हेक्टेयर रकबे को लाया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि मोटे अनाज पर जोर देने के साथ ही भारत योग की तरह अपनी जड़ों की ओर वापस जा रहा है। व्यापार आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2021 को समाप्त हुए विपणन वर्ष 2020-21 के दौरान भारत ने 1.17 लाख करोड़ रुपये के खाद्य तेलों का आयात किया।
मोटे अनाज के गौरव वापस आने से बनेंगे आत्मनिर्भर
Piyush Goyal ने कहा कि मोटे अनाज के गौरव को वापस लाने से देश 3 क्षेत्रों- खाद्य, पोषण और अर्थव्यवस्था में आत्मनिर्भर हो जाएगा। भारत को मोटे अनाज का एक प्रमुख निर्यातक बनाने के लिए चार मंत्र सुझाते हुए उन्होंने कहा, विभिन्न राज्य, मोटे अनाज पर ध्यान केंद्रित करते हुए फसल विविधीकरण के लिए कर्नाटक के फल मॉडल की सफलता को अपना सकते हैं।
इसके अलावा, मोटे अनाज के जैव-पोषक तत्व संवर्धन में गुणवत्ता और सहायता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नवीनतम तकनीक प्रदान करने के लिए कृषि स्टार्टअप के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बाजरा के स्वास्थ्य और पोषण लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए। ब्रांड इंडिया मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय पहुंच कायम करने की भी आवश्यकता है।
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